मेरी कलम से - मीनू कौशिक
Apr 23, 2024, 22:27 IST
मुखौटे पर मुखौटे हैं, भला कैसे कोई जाने,
है बैठा जो बगल में वो , नहीं देगा दगा माने ।
फरेबी दुनिया से कैसे , करें जो डील ना समझे,
रहेगा वो अनाडी ही , सदा धोखे उसे खाने ।
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नज़र शिखर पर,कदम जमीं पर,दिल में आग सुलगती रख,
सच का साथ ,कपट से कट्टी , सीरत सच उगलती रख।
डरे बुराई सम्मुख आते , इतना दम किरदार में हो ,
रब का बंदा है तो रब की, कुछ तो शान झलकती रख ।
✍️.. मीनू कौशिक "तेजस्विनी", दिल्ली