कविता - जसवीर सिंह हलधर 

 

युद्ध तीसरे की आहट से वर्तमान घबराया है ।
भूतकाल के अनुभव से क्या सीख विश्व ले पाया है ।।

दो देशों का युद्ध विकट संहार धरा पर जारी है ।
ताइवान,तिब्बत, पीओके सुलग रही चिंगारी है ।
बारूदी हथियारों का धरती पर नर्तन दिखता है ।
एक पक्ष को अमरीका से खुला समर्थन दिखता है ।
राख हुआ यूक्रेन युद्ध में जर्जर दिखती काया है ।।
भूतकाल के अनुभव से क्या सीख विश्व ले पाया है ।।1

युद्ध पोत तक सुलग रहे हैं धूँ धूँ जलते टैंक खड़े ।
बख्तर बंद गाड़ियों के भी सड़कों पर अंबार पड़े ।
श्रृंग छोड़ धरती पर आया रूस कहाँ को जाए अब।
पूरी दुनिया के दादा से कैसे लाज बचाये अब ।
नाटो देशों के गुट वाला किला रूस ने ढाया है ।
भूत काल के अनुभव से क्या सीख विश्व ले पाया है ।।2

दहसत नहीं मुझे कहने में बहुत बुरा है अमरीका।
दुनिया में आतंकवाद का मुख्य धुरा है अमरीका ।
वियतनाम , ईराक सरीखे देश गटक कर बैठा है ।
और सीरिया,अफगानों का चैन सटक कर बैठा है ।
बार बार ईरान मुल्क को भी इसने धमकाया है ।।
भूतकाल के अनुभव से क्या सीख विश्व ले पाया है ।।3

जिनको समाधान होना था घटक युद्ध में बने हुए ।
नाटो वाले देश सभी तो दादा बनकर तने हुए ।
चीन पाक गठजोड़ दिखाती है झगड़े की तैयारी ।
भारत इनका बाप युद्ध में दोनों पर होगा भारी ।
 "हलधर" का भारत दुनिया में शांति दूत बन छाया है ।।
भूतकाल के अनुभव से क्या सीख विश्व ले पाया है ।।
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून