रिश्ते - सुनील गुप्ता

 

चलें रिश्ते निभाए सदा 
अपनी जिंदगी में हम  !
कभी ना तोड़ें संबंधों को......,
चलें हर्षाएं इन्हें हरदम !!1!!

कभी ना टूटने पाएं 
प्रेम रिश्तों का बंधन  !
चलें जोड़ते इन्हें सदा.....,
बन छोटे, दिखलाएं बड़प्पन !!2!!

रुठे कोई तो मनाएं
करें इनका सदा ही मान  !
समझ अपनों की भावनाएं....,
करते चलें आदर सम्मान !!3!!

रिश्ते मिलते मुकद्दर से
चलें सदा इन्हें संभालते !
अपने प्रारब्ध कर्मों से ये ......,
जुड़े बड़े गहरे से होते !!4!!

चलें खूबसूरती से निभाए
रिश्तों की प्यारी फूलवारी !
समय-समय पर रहें सींचते....,
सौभाग्य से बनती रिश्तेदारी !!5!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान