सरसी छंद - मधु शुक्ला

 

अधिकारों जितना होता यदि, कर्तव्यों से मोह, 
अपनेपन से कभी मनुज का, होता नहीं बिछोह।

कर्तव्यों का पालन पोषण, जो करते सत्कार, 
सफल सभी मोर्चों पर होते, पाते सुयश दुलार।

मात पिता सम कर्तव्यों से, कौन निभाता प्रीत, 
इसीलिए हर जगह हमेशा, ममता जाती जीत। 

याद दिलाने से पहले हम, पूर्ण करें कर्तव्य,
तभी सौम्यता प्राप्त करेगा, मनुज आचरण भव्य।।
— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश