श्री कृष्णा - निहारिका झा 

 

श्री कृष्ण हरि गोपाल हरि,
नंदलाल हरि गोविंद हरि। 
मैया की आंख के तारे हरि.
मुरली मोहन नटवर नागर।
गिरधर  कहलाए आज हरि। 
अधरों पर बंसी सजती है,
वृषभानु लली का साज हरि। 
असुरों से जग को बचा लिया,
सृष्टि का पालन करते हैं,
हैं जग के तारण हार हरि। 
इक बार जपो बस नाम हरि,
झट से आते हैं पास हरि,
कातर पांचाली भरी सभा,
थी टेर लगाती नाम हरि। 
ज्यों नाम सुना हरि ने अपना,
 आए झट से  दरबार हरि, 
था  सखा को गीता ज्ञान दिया,
कर्म बोध था सिखा  दिया,
जीवन समझो  इक माया है,
हर नाता रिश्ता झूठा है,
यह आत्मबोध का ज्ञान दिया।    
बस सत्य नाम यह जपो हरि,
श्री कृष्ण हरि गोपाल हरि, 
सृष्टि के पालन हार हरि,
श्री कृष्ण....।।
-श्रीमती निहारिका झा
खैरागढ़ राज.(36 गढ़)