मौन अधर - सुनील गुप्ता

 

मौन अधर 
देखके तेरे 
नयनों ने नयनों से,
कह डाला सभी कुछ  !
रही ना कुछ भी कहने सुनने की,
अब अधरों को यहाँ पे जरुरत.....,
और समझ गए हम सभी कुछ !! 1 !!

मौन अधर 
सजल आँखें 
दरम्यान रहा नहीं कुछ,
और कह चुकीं ये सभी दास्ताँ  !
बस कुछ ना कहें ये अधर यहाँ पे.....,
अब है तुम्हीं को तुम्हारा वास्ता !! 2 !!

मौन अधर 
अंतस देखें 
जानें मन को मन,
और चलें पढ़ते मौन भाषा  !
जो व्यथा कह ना पाएं कभी ये शब्द...,
उनसे अच्छा है यहाँ मौन बनें ही रहना !! 3 !!

मौन अधर 
अमर साधना  
चले मिलाए परमेश्वर से,
और गुरु शिष्य का कराए अद्भुत मिलन  !
आओ, इसे अपने जीवन में उतारलें.....,
और प्राप्त करलें, सुख शांति प्रेम सुकून !! 4 !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान