तन्हा दिल तन्हा सफर - राजेश कुमार

 

तन्हा दिल तन्हा सफर। 
है बहुत मुश्किल जीवन की डगर।।
चारो तरफ भीड़ है ।
उड़ रहा मानो जैसे नीर है।।
दिखावटी ये मेला है ।
फिर भी हर कोई अकेला है ।।
कैसा ये दुनिया का झमेला है ।।
जहा दर्द तो हजारों है ।
पर आदमी अकेला है ।
तन्हा जीवन तन्हा सफर ।
है बहुत मुश्किल जीवन की डगर।।
बड़ी बेरुखी बड़ी बेबसी।
जिंदगी ने बनाई क्या हालत मेरी ।।
नाव धीरे धीरे किनारे पर लग रही है ।
जिंदगी हर इंसान के मजे ले रही है।। 
बड़ी पेचीदा बड़ी उलझा है इसका मंजर।।
यहां सबको बस अपनी अपनी फिकर।
ये अंजनी बिन पहचानी सी है एक लहर।।
तन्हा जीवन तन्हा सफर ।
हैं बहुत मुश्किल जीवन की डगर।।
- राजेश कुमार झा, बीना, मध्य प्रदेश