गुरू की महिमा का बखान शब्दों में नहीं किया जा सकता है

 

Utkarshexpress.com बक्सर - आषाढ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा, वेद व्यास जयंती एवं गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व की पूर्व संध्या पर, भोजपुरी दुलार मंच, एवं प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा, भारत के संयुक्त तत्वाधान में, मंच, के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं, सभा के सलाहकार,डॉ ०ओमप्रकाश केसरी पवननन्दन, साहित्यकार, मरणोपरांत देहदानी, के संयोजन और संचालन में एवं वरीय अधिवक्ता, लेखक रामेश्वर प्रसाद वर्मा जी की अध्यक्षता में, पार्वती निवास परिसर में, भव्य रूप से गुरू पूर्णिमा का पर्व मनाया गया
आयोजित गुरू पूर्णिमा पर्व  समारोह का उद्धाटन, वरीय चिकित्सक, समाज सेवी डॉ ० महेंद्र प्रसाद जी, न०प०के पूर्व चेयरमैन, समाजसेविका, श्रीमती मीना सिंह, पूर्व शिक्षक, गणेश उपाध्याय जी द्वारा दीप जलाकर एवं महर्षि वेद व्यास जी के तैल चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया.
अपने उद्घाटन सम्बोधन में  डॉ महेंद्र जी ने गुरू की मह्ता पर विस्तार से चर्चा करते हुए, गुरू को महामानव कहकर गुरु की मह्ता को दर्शाये.
श्रीमती मीना सिंह, जी ने गुरू को  भगवान से भी उपर बताया.
गणेश उपाध्याय, ने  कहा गुरू एवं शिक्षक ज्ञान बांटते हैं.
अध्क्षता करते हुए, श्री वर्मा जी ने  गुरु  को पूरी सृष्टि का नायक बताते हुए गुरू की मह्ता को परिभाषित किये.
अन्य मान्य अतिथियों में__ शिव बहादुर पांडेय प्रीतम जी ने काव्य के माध्यम से गुरू की महिमा बताई,रामेश्वर मिश्र विहान जी ने भी उसी तर्ज पर अपनी बात रखी, शशि भूषण मिश्र जी नेभी अपनी बातों के सिलसिले में कविता के माध्यम से गुरू की महिमा को बताये, डॉ ०शशांक शेखर ने कहा कि आज के गुरुजनों को भी पूर्व  के गुरुओं से सीख लेनी चाहिए, राजा रमण पांडेय मिठास जी ने अपनी मीठी वाणी द्वारा गुरू की महिमा बताई, वरिष्ठ साहित्यकार महेश्वर ओझा महेश जी ने कविता केमाध्यम अपनी बात रखी, कन्हैंया दुबे जी ने भी गुरु के बारे में बताये, ई०रामाधार सिंह ने आलेख के माध्यम से गुरु पूर्णिमा पर चर्चा की,अतुल मोहन प्रसाद जी ने भी अपने चंद शब्दों के माध्यम से गुरू की महिमा बतायी, ललित बिहारी मिश्र सुहाग जी ने गुरु पूर्णिमा पर अपनी बात रखी, विनोधर ओझा जी एवं राज कुमार गुप्ता के साथ ही भरत जी ने भी गुरु पूर्णिमा  के महतव पर चर्चा की.
संचालन कर्ता ने  गुरू पूर्णिमा पर अपनी बातों को साझा करते हुए, कहा कि  गुरु की मह्ता  का बखान  हम सभी शब्दों में नहीं कर सकते अर्थात गुरू की महिमा शब्दों में नहीं बांधी  जा सकती है.
हम सभी के जीवन में हम सभी के प्रथम गुरु हम सभी की मां होती है.
मां के बाद  हम सभी के अनेक गुरु है.
गोस्वामी जी  ने मानस में लिखा है___
प्रात काल उठि के रधुनाथा,
मातु पिता गुरु नावहि माथा।
आषाढ पूर्णिमा के दिन ही भगवान वेद व्यास जी का जन्म हुआ था, इन्होंने नेही वेद का भाष्य करके उसे चार भागों मे विभक्त किये थे तभी से इनको वेद व्यास कहा जाने लगा.
इनका नाम कृष्ण दैव्यपान.
महाभारत की रचना इन्होंने ही भगवान श्री गणेश जी द्वारा करायी थी।
इनके जन्मदिन पर ही इनकी जयंती को गुरू पूर्णिमा के रूप में मनाते है. गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरे भारत वर्ष में अलग__अलग नाम से मनाया जाता है. महाराष्ट्र में इस पर्व को गुडी परवा के नाम से मनाया जाता है. आषाढ पूर्णिमा से ही चर्तुमास शुरू हो जता है जो कार्तिक महीने की देवोत्थान एकादशी तक रहता है.
गुरु पूर्णिमा के समस्त अपन क्षमता के अनुसार गुरु का पूजन करते हैं, एवं अपना समर्पण व्यक्त करते हैं. हम सभी मान्यता हैकि खुद  भगवान  आदि गुरु  है,और वही अपने माध्यम से सप्त ऋषियों सहित सभी को ज्ञान दिये हैं,उसी के अनुरुप  गुरू पूर्णिमा पर गुरू के रुप में विद्यमान भगवान का पूजन करतें हैं. बिना गुरू का ज्ञान असम्भव हैं
गुरु के समर्पण ही हम सभी के जीवन आधार है.
भारतीय वांगमय में बारह पूर्णिमा का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है.  हिन्दी के बारह महीने__यथा_ चैत्र,वैशाख,आषाढ,त्रावण(सावन), भादो, कुआर,कार्तिक, अगहन,पौष, माध फाल्गुन माह के बारह पूर्णिमा में बारह संत महात्माओं का जन्म हुआ है.__क्रमशः_ भगवान महावीर(जैन-धर्म ), भगवान बुद्ध, संत कबीर, भगवान वेद व्यास, लव_कुश, संस्कृत दिवस,अन्नत चर्तुदसी, महर्षि वाल्मीकि जी, गुरू नानक देव जी,भगवान दत्तात्रेय जी, शाकम्बरी, जी, संत रविदास जी, और  चैतन्य महाप्रभु कृष्ण जी.__ये महान हस्ती का पदार्पण  बारह पूर्णिमा ओं को हुआ था.
गुरू पूर्णिमा पर विशेष कुछ पंक्ति____
अंधेरे से उजाले की तरफ ले जाते हैं गुरु,
जीवात्मा को परमात्मा से मिलाते हैं गुरु।
श्रद्धायुक्त होकर रखते जो गुरु अपना ईमान,
बिना विद्या के आरुणि  की तरह बना देते हैं गुरू।
उक्त समारोह में यह भी तय किया गया उक्त दोनों संस्थाओं के द्वारा प्रत्येक पूर्णिमा को___ कवि गोष्ठी, कवि सम्मेलन, विचार गोष्ठी आयोजित की जायेगी।
कन्हैया दुबे जी के द्वारा आभार अर्पित के साथ  समारोह को विराम दिया गया। सफल आयोजन की कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई दी है।
गुरू ब्रह्मा, गुरू विष्णु, गुरू देवो महेश्वर:,
गुरू साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम:.