फिर जीता कछुआ - अनीता ध्यानी

 

धीरे धीरे बड़े प्यार से चलता रहा निरन्तर,
ताकत में दोनों की बहुत बड़ा था अंतर।
14 जुलाई को शुरू की उसने  चांद  पर चढ़ाई,
कछुए की इस रेस पर खरगोश ने नजर गड़ाई।
10 अगस्त को खरगोश लूना 25 ने कर दी शुरू चढ़ाई,
कछुआ चन्द्रयान -3 ने लेकिन ,की थी खूब पढ़ाई।
धीरे धीरे कछुए ने चांद पर पकड़ बनाई,
तुझसे पहले मैं पहुंचूंगा कह,खरगोश ने आंख दिखाई।
हुआ वही जो सदियों पहले  हुआ था,
मंजिल आने से पहले ही ,खरगोश सोया था।
23 अगस्त को पहुंच गया कछुआ अपनी मंजिल पर,
देश की कीर्ति फैलाई जग में,साउथ पोल जीत कर।
सिद्ध कर दिया कछुए ने फिर से ,ये कीर्तिमान रचकर,
मिलती जीत सदा बुद्धि से,न मिलती दौड़कर।
- अनीता ध्यानी, रा0 प्रा0 वि0 देवराना
वि0 क्षे0 यमकेश्वर, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड