दो दीवाने - सुनील गुप्ता
( 1 ) चले
दो दीवाने
साईकिल पे सवार होके ,
' पर्यावरण संरक्षण ', का संदेश देते !
युवान बच्चों के संग झूमते नाचते गाते.,
और चलें भारत माता के जयकारे लगाते !!
( 2 ) मिले
मित्र पुराने
मारते पेडल साईकिल पे ,
चले कहानी किस्से आपस में कहते !
मंज़िल थी सबकी देखी जानी-पहचानी .....,
और वंदे मातरम् के जयघोष चले लगाते !!
( 3 ) खिले
युवान चेहरे
भविष्य के सपने बुनते ,
चलें जोश उमंग उत्साह से भरे पूरे !
होगी संरक्षित जल भूमि वायु धरा की ...,
और इसी विश्वास में जिंदगी के पेडल मारते !!
( 4 ) पलें
चलें जीएं
जीव-जंतु सभी मिल के ,
एक पृथ्वी • एक कुटुंब • एक भविष्य बनाएं !
रहें आनंद में परिवारजन खुश प्रसन्न यहाँ पे ,
और वसुंधरा यहाँ पे सरसाए हर्षाए मुस्कुराए !!
( 5 ) रहे
सदैव कायम
श्रीअशोक-सुनीलानंदजी की मित्रता यहाँ..,
और चलती चले ये जीवन साईकिल हौले-हौले !
चलें लगाएं वृक्ष पेड़ पौधे वनस्पतियाँ मिलके ,
और वन उपवन से उठती आएं मकरंदी हवाएं !!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान