विजया घनाक्षरी - मधु शुक्ला

 

राखी  बाँधे  हाथ  पर, जब  बहन  प्रेम से ,
सिंधु भाव का उमड़ , कोर दृग गीला करे।
सहोदरा  हेतु   मन,  भेजे  अनगिन  दुआ,
भाई रक्षा दायित्व को , आदर से शीश धरे।
राखी के संग बहन, बला भाई की माँगती,
करे ईश से विनय, भैय्या की विपदा टरे।
रक्षाबंधन  पर्व  की, प्यारी  यह  परम्परा,
उज्जवलता  को  गहे, रहे  तमस  से  परे।
- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश