हम तो सफर करते हैं   - सुनील गुप्ता

 

 ( 1 ) हम 
तो चले 
करते सफर अनवरत ,
नहीं ठहरते रुकते यहाँ कहीं पे  !
है देश प्रेम धर्म कर्तव्य हमारा प्रथम ..,
सदैव लेकर चलें इन प्राणों को हथेली पे !!
( 2 ) सदैव 
लहराए चलें 
शिखर पे तिरंगा ,
नहीं झुकने गिरने देंगे कभी इसे  !
है मातृभूमि का मान सम्मान जान से प्यारा .,
भले चलें जाएं प्राण इसकी यहाँ पे रक्षा करते !!
( 3 ) स्वर्ग 
से महान 
जननी जन्मभूमि हमारी ,
नहीं आने देंगे तनिक आँच इसपे  !
हैं गौरवान्वित हम अपनी माँ और माटी पे ..,
इसकी ख़ातिर करें न्यौछावर सबकुछ यहाँ पे !!
( 4 ) सफऱ 
जिंदगानी का 
बहता रहता अजस्त्र ,
नहीं रुकता झुकता ये युद्ध झंझावातों से !
खुश रहे अहले वतन, बना रहे चिरंजीवी .,
यही आस लिए डटे हैं वीर सैनानी सीमाओं पे !!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान