क्यों जला मेरा गला ? - भूपेश प्रताप
Jun 27, 2024, 22:04 IST
बता कोकिल !
क्यों जला तेरा गला?
मौन साधे स्वर छिपाए
वेदना के गीत गाती
गर्मियों की रात में न चैन पाती
धधक कर तन लू लपेटे
दौड़ती वन-वन जलाती
बता तेरे मधुर स्वर को
आग अब किसने लगाई?
बता कोकिल व्यथा का क्यों भार ढोती?
सुनो मानव!
कंठ मेरा रुँध गया है
दु:ख से मन भर गया है
पीढ़ियाँ गुज़री हमारी
गीत हमने बहुत गाए
दान स्वर का किया हर दिन
किंतु आया आज दुर्दिन
बन गए तुम बहुत लोभी
आग जंगल में लगाई
बाल-बच्चे जल रहे हैं
फिर भी अब तुम पूछते हो
क्यों जला मेरा गला?
- भूपेश प्रताप सिंह, दिल्ली