कांग्रेस में किसे मिलेगी राज्यों की कमान
छत्तीसगढ़ में भारी बहुमत पाने वाली कांग्रेस ने वहां किसी को सीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश नहीं किया था और न ही मध्यप्रदेश और राजस्थान की तरह वहां स्वयंभू सीएम उम्मीदवार थे। राज्य में संगठन खड़ा करने वाले प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल मजबूत दावेदार बनकर उभरे हैं। हालांकि कांग्रेस ने मोदी लहर में राज्य से जीतकर आए एकमात्र सांसद ताम्रध्वज साहू को अंतिम समय उम्मीदवार बनाकर मैसेज देने की कोशिश की थी। साहू अनुभवी हैं और राहुल गांधी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में उतारा था लिहाजा पार्टी इसे संकेत मान रही है।
राजस्थान में कांग्रेस ने किसी तरह बहुमत का जादुई आंकड़ा तो जुटा लिया लेकिन मजबूती से सरकार चलाने के लिए छोटे दलों या निर्दलीय विधायकों को भी साथ लेना चाहेगी। अशोक गहलोत को पुराना तर्जुबा है और जीतकर आने वाले अन्य विधायकों में कई कांग्रेस के बागी हैं। सूत्रों की मानें तो अपना दावा मजबूत करने के लिए गहलोत ने उनसे संपर्क भी साध लिया है।
मध्यप्रदेश में नतीजों की तस्वीर और भी ज्यादा धूमिल है और भाजपा वहां सरकार बनाने का मौका तलाश रही है। लिहाजा आपसी घमासान से पहले कांग्रेस की कोशिश राज्य में अपने अंकगणित मजबूत करने की है। कमलनाथ को राहुल ने दिल्ली से मध्यप्रदेश भेजा तो इसी नीयत से था कि आखिरी राजनीतिक पारी राज्य में ही खेलें लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले विधानसभा चुनाव से इसी आस में हैं कि उन्हें कमान सौंपी जाए।
फिलहाल दिग्विजय सिंह का समर्थन कमलनाथ के साथ और राज्य के कुछ अन्य बड़े नेता खुद चुनाव हार चुके हैं लिहाजा बहुमत सिद्ध करने के खेल में पार्टी कमलनाथ को बेहतर मानकर चल रही है। बुधवार को मध्य प्रदेश के विधायकों की भी बैठक बुलाने को कहा गया है जिसमें दिल्ली से कुछ वरिष्ठ नेता भेजे जा सकते हैं।