वडोदरा की फर्म डायमंड कंपनी ने की 2,655 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी

विजय माल्या और नीरव मोदी के बाद देश के सरकारी व गैरसरकारी बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाने का एक और मामला सामने आया है। वडोदरा की फर्म डायमंड पावर इंफ्रास्ट्रक्चर ने अलग-अलग 11 बैंकों के कंसोर्टियम से 2655 करोड़ रुपये का लोन लेकर अब हाथ खड़े कर दिए हैं। बिजली के केबल व ...
 

विजय माल्या और नीरव मोदी के बाद देश के सरकारी व गैरसरकारी बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाने का एक और मामला सामने आया है। वडोदरा की फर्म डायमंड पावर इंफ्रास्ट्रक्चर ने अलग-अलग 11 बैंकों के कंसोर्टियम से 2655 करोड़ रुपये का लोन लेकर अब हाथ खड़े कर दिए हैं। बिजली के केबल व उपकरण बनाने वाली कंपनी ने बैंक के ही अफसरों से मिलीभगत कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एक के बाद एक बैंक से सैकड़ों करोड़ रुपये ले लिए।

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने गुरुवार को डायमंड पावर इंफ्रास्ट्रकचर लिमिटेड के संस्थापक सुरेश नारायण भटनागर, उसके पुत्र व प्रबंध निदेशक अमित भटनागर, सुमित भटनागर के आवास व फैक्टि्रयों पर छापा मारकर कई अहम दस्तावेज जब्त किए हैं। वर्ष 2008 से डायमंड पावर ने एक मॉडस ऑपरेंडी के जरिए बैंक के अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत से सैकड़ों करोड़ रुपये के लोन पास कराए। इसके बाद फर्जी दस्तावेज, बैंक खातों व कंपनी की बैलेंस शीट के जरिए भटनागर बंधु सरकारी व गैरसरकारी बैंकों से अलग-अलग लोन उठाते गए। बैंक ऑफ इंडिया से करीब 670 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा के 349 करोड़, आइसीआइसीआइ के 280 तथा एक्सिस बैंक के 255 करोड़ रुपये इन्होंने लोन के जरिए हड़प लिए। सीबीआइ ने आपराधिक षड्यंत्र, बैंक से धोखाधड़ी, जाली दस्तावेज व बैंक खाते के जरिए इस घोटाले को अंजाम देने का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। 2008 से जून 2016 तक भटनागर बंधुओं ने इतने बड़े बैंक घोटालों को अंजाम दिया।कंपनी और उसके निदेशक इन सबके बावजूद सावधि ऋण और क्रेडिट सुविधाएं प्राप्त करने में कामयाब रहे हैं। उन्हें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डिफॉल्टर सूची में नामित किया गया और निर्यात क्रेडिट गारंटी निगम की सावधानी सूची में आने के दौरान ही क्रेडिट लिमिट बढ़ा दी। सीबीआइ का आरोप है कि कंपनी ने बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से ही इस घोटाले को अंजाम दिया। कंपनी ने बैंकों को धोखा देने के लिए झूठे स्टॉक स्टेटमेंट तैयार किए।

बैंकों से लोन पर ली गई रकम :-

बैंक ऑफ इंडिया- 670.51 करोड़ रुपये

बैंक ऑफ बड़ौदा 348.99 करोड़

आइसीआइसीआइ बैंक- 279.46 करोड़

एक्सिस बैंक-255.32 करोड़ रुपये