जीवन की अनबूझ पहेली == Bhupinder Kaur

कुछ अनकहे शब्दों की वेदना, बुझती आँखों से उठते मूक प्रश्नों से नावाकिफ तो नहीं मगर – उन प्रश्नों के उत्तर नहीं हैं पास मेरे , पल प्रतिपल घटता सा जीवन किसी अनंत वियोग को सोच सिहर उठता सा मन स्वीकार नहीं कर पाता , जीवन की अनबूझ पहेली को भूपिंदर सचदेवा
 

कुछ अनकहे शब्दों की वेदना,
बुझती आँखों से उठते
मूक प्रश्नों से
नावाकिफ तो नहीं
मगर –
उन प्रश्नों के उत्तर
नहीं हैं पास मेरे ,
पल प्रतिपल
घटता सा जीवन
किसी अनंत वियोग को सोच
सिहर उठता सा मन
स्वीकार नहीं कर पाता ,
जीवन की अनबूझ पहेली को
भूपिंदर सचदेवा