बंधन == ऋतु गुलाटी

‎ बंधन हो प्यार का जब सहज हम बंध जाते हैं बंधन से इतर अगर हो उदास हम हो जातें हैं। माता पिता संग नेह बंध स्नेह से परिपूर्ण करे। बहना संग प्रेम का बंधन जीने को मजबूर करें। स्नेह सौहार्द का ये बंधन नयी आशा नयी मोद भरे। जीवन साथी संग प्रेम बंधन मन ...
 

बंधन हो प्यार का जब
सहज हम बंध जाते हैं
बंधन से इतर अगर हो
उदास हम हो जातें हैं।

माता पिता संग नेह बंध
स्नेह से परिपूर्ण करे।
बहना संग प्रेम का बंधन
जीने को मजबूर करें।

स्नेह सौहार्द का ये बंधन
नयी आशा नयी मोद भरे।
जीवन साथी संग प्रेम बंधन
मन मयूर सा नाच उठे।

कितने रिश्तों मे बंध जाता
सुन्दर परिवार की नींव धरे।
संगी साथी मित्र संग बंधन
जीवन मे उन्माद भरे।

सुख- दुख मे साथ निभाये
ऐसा बंधन दिल को सुखद बनाऐ
पंछी पिंजरे मे रहता बंधन होय
स्नेह के दाने जुगता, दूर नही जाये।

स्नेह का बंधन खुशियां दे जाये
प्रेम मे डूबा बंधन मे सुख पाये।
बंधन हो प्रेम का वक्त सही कटे
हर प्राणी इस प्रेम बंधन को समझे।।

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऋतु गुलाटी