“कोई नहीं ” ==Roopal Upadhyay
झूठ कहती हैं दुनिया कोई किसी का नहीं साथ निभाते हैं लोग छोड़ते कभी तन्हा नहीं । कितने हसीन चेहरों में ढूंढने लगती हैं नजर उन्हे जिनसे हमारा कोई वैसे कोई रिश्ता नहीं । हवाओं की सी नमी जब आंखो को धुंधलाए समेट लेता मोती सारे वो जो कोई नहीं । पथरीले डगर की उष्णता ...
Oct 16, 2019, 19:05 IST
झूठ कहती हैं दुनिया
कोई किसी का नहीं
साथ निभाते हैं लोग
छोड़ते कभी तन्हा नहीं ।
कितने हसीन चेहरों में
ढूंढने लगती हैं नजर
उन्हे जिनसे हमारा कोई
वैसे कोई रिश्ता नहीं ।
हवाओं की सी नमी
जब आंखो को धुंधलाए
समेट लेता मोती सारे
वो जो कोई नहीं ।
पथरीले डगर की उष्णता
से मनोबल टूटने लगे
थाम लेता हाथ कोई
जिससे कोई नाता नहीं ।
जीवन मावस पूनम सा
कई रंग बदलता हैं
नहीं बदलता किरदार अपना
जो लगता कुछ नहीं ।
,,,,,,,,,,,,,,रूपल उपाध्याय