एक दंपति ने गरीब बच्चों के लिए शुरू किया बुक बैंक

मेरठ | उत्तर प्रदेश के मेरठ से 25 किलोमीटर दूर मोदीनगर के ग्रामीण इलाके में रहनी वाली अमिता शर्मा (32) पोस्ट ग्रैजुएट हैं। 2016 के एक दिन अपने पति के साथ मिलकर अमिता ने ऐसे बच्चे जो प्रतिभा होने के बावजूद पढ़ नहीं पाते और उनके पास किताबें नहीं है, इस समस्या का समाधान करने का ...
 

मेरठ | उत्तर प्रदेश के मेरठ से 25 किलोमीटर दूर मोदीनगर के ग्रामीण इलाके में रहनी वाली अमिता शर्मा (32) पोस्ट ग्रैजुएट हैं। 2016 के एक दिन अपने पति के साथ मिलकर अमिता ने ऐसे बच्चे जो प्रतिभा होने के बावजूद पढ़ नहीं पाते और उनके पास किताबें नहीं है, इस समस्या का समाधान करने का फैसला लिया। ऐसे बच्चों के लिए अमिता को चिंता होती थी । उन्होंने ‘प्रेरणा बुक बैंक’ नाम से गरीब बच्चों के लिए फ्री लाइब्रेरी प्रॉजेक्ट शुरू किया। उनकी यह लाइब्रेरी अब चार राज्यों के 40 ग्रामीण इलाकों तक फैल गई है। उनके पास इस मुहिम में वॉलनटिअर्स भी शामिल हैं। लाइब्रेरी शुरू करने के बाद हमें जगह की कमी हुई तो कुछ वॉलनटिअर्स हमसे आकर जुड़े। इनमें अधिकांश महिलाएं और लड़कियां थीं। बीए में पढ़ने वाली नगला खू गांव की 19 वर्षीय वंदना त्यागी ने बताया, ‘एक साल पहले संजय भैया और अमिता दीदी हमारे गांव आए। उन्होंने गांव में लाइब्रेरी खोलने की बात कही। मैं उनके साथ इस मुहिम में शामिल हो गई। अपने घर के कमरे में बच्चों के लिए किताबें रखने और पढ़ने की व्यवस्था की।’ अमिता ने बताया, ‘मुझे आज भी वे दिन याद हैं जब हमें स्कूल अटैंड करने के लिए दो किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। रास्ते में कई बच्चे हमें ललचाई नजरों से देखते थे। वे हमारे किताबों से भरे बैग देखते थे। हम उनके लिए कुछ नहीं कर सकते थे लेकिन अब हम कर सकते हैं।’ संजय ने बताया, ‘अमिता और मैं स्कूल और कॉलेज जाकर छात्र-छात्राओं को प्रेरित करते हैं कि वे जिन किताबों की उन्हें जरूरत हो वे किताबें हमें दे दें। वे किताबें हम अपनी लाइब्रेरी में लाकर रखते हैं और गरीब बच्चे वहां आकर फ्री में पढ़ते हैं।’ बीते दो वर्षों में प्रेरणा बुक बैंक के पास दो लाख से ज्यादा किताबें आ चुकी हैं। उनके 4,500 सदस्य हैं। आज प्रेरणा बुक बैंक की गाजियाबाद में 15, मेरठ में आठ, उत्तराखंड में तीन, दिल्ली में चार और हरियाणा में एक लाइब्रेरी है।

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