राज्य को मिली नई पर्यटन नीति,

देहरादून। राज्य की बहुप्रतीक्षित पर्यटन नीति को कैबिनेट में स्वीकृति प्रदान कर दी गई। पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिलन के बाद नई पर्यटन नीति के अन्तर्गत पर्यटन क्षेत्र के निवेशकों तथा परियोजना इकाईयों को वे सभी लाभ तथा प्रोत्साहन प्राप्त हो सकेंगे, जो राज्य में अन्य उद्योगों को प्राप्त हैं। नई नीति के अन्तर्गत होटल, ...
 

देहरादून। राज्य की बहुप्रतीक्षित पर्यटन नीति को कैबिनेट में स्वीकृति प्रदान कर दी गई। पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिलन के बाद नई पर्यटन नीति के अन्तर्गत पर्यटन क्षेत्र के निवेशकों तथा परियोजना इकाईयों को वे सभी लाभ तथा प्रोत्साहन प्राप्त हो सकेंगे, जो राज्य में अन्य उद्योगों को प्राप्त हैं। नई नीति के अन्तर्गत होटल, रिजाॅर्ट, योगा, आरोग्य, स्पा आयुर्वेद तथा प्राकृतिक चिकित्सा रिजाॅर्ट, ईको-लांज, रेस्टोरेन्ट, पार्किंग स्थल, मनोरंजन पार्क, कन्वेंशन केन्द्र, त्यौहार, साहसिक गतिविधियां (ट्रेकिंग , पैराग्लाईडिंग, वाटर एवं एयरो स्पोटर्स आदि), रोप-वे, कैरावन, एयर टैक्सी, हस्तशिल्प, जनरल सफारी, सर्विस अपार्टमेन्ट आदि कुल 28 पर्यटन गतिविधियों को पात्र इकाई माना गया है।इस नीति के अन्तर्गत राज्य में पर्यटन सम्बन्धी गतिविधियों/परियोजनाओं के पंजीकरण तथा प्रोसेसिंग के लिए उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद नियामक/नोडल संस्था होगी। निजी क्षेत्र की बड़ी पर्यटन योजनाओं तथा पर्यटन विभाग के भूमि बैंक अथवा वर्तमान परिसम्पतियां हेतु चिन्हित योजनाओं के पंजीकरण तथा आरम्भिक प्रोसेसिंग (स्वीकृति, लाईसेंस, अनापत्ति प्रमाण-पत्र आदि) के पश्चात् उन्हें अनुमोदन हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली उच्च शक्ति अधिकार युक्त समिति को प्रेषित किया जायेगा। राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस अवसर पर पर्यटन क्षेत्र से जुड़े समस्त स्टेक होल्डर्स को हार्दिक बधाई प्रेषित की है। उन्होंने कहा कि पर्यटन दिवस के अवसर पर यह पर्यटन राज्य की गणमान्य जनता को राज्य सरकार का एक तोहफा है। इस नीति का उद्देश्य राज्य को सुरक्षित और पर्यटक मित्र गंतव्य के रूप में विकसित एवं मजबूत करना है। इसके अतिरिक्त राज्य में नये पर्यटक गन्तव्य स्थलोंएवं विशेष पर्यटक उत्पादों को विकसित करते हुए पर्यटक गतंव्यों पर आवश्यक मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि नीति के मूल में समावेशी तथा संतुलित क्षेत्रीय विकास की भावना निहित है। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने बताया कि नई नीति की वैधता जारी होने से पांच साल की अवधि के लिए होगी और प्रत्येक नीति का प्रत्येक 2 वर्ष बाद व्यापक रूप से अवलोकन करने के उपरान्त आवश्यक संशोधन किये जायेेंगे। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित नीति के अनुसार उत्तराखण्ड़ पर्यटन विकास परिषद प्रत्येक जनपद में पर्यटन के उद्देश्य के लिए भूमि बैंक तैयार करेगा। निवेशकों की सुगमता के लिए विभाग द्वारा एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी जो कि आवेदनकर्ताओं के साथ उनकी परियोजना पर एकल खिड़की पोर्टल से आवश्यक स्वीकृति, लाइसेंस, अनापत्ति प्रमाण पत्र एवं अनुमोदन प्राप्त करने के लिये समन्वयन का कार्य करेगा। उन्होंने बताया कि भ्च्म्ब्वर्ष में कम से कम तीन (03) बार बैठक करेगी। लाभार्थी के लिये अगले 5 वर्षों तक पर्यटन इकाई का संचालन करना अनिवार्य होगा।यदि कोई पर्यटन इकाई उपरोक्त २ार्तों का पालन नहीं करती है तो उसे दी गयी सब्सिडी को 15 प्रतिशत ब्याज दर से राज्य को लौटाना होगा और ऐसा न करने की दशा में राज्य द्वारा दी गयी धनराशि को वसूल करने के लिये उस पर उपयुक्त कार्यवाही की जा सकेगी। जो भी पर्यटन इकाई सब्सिडी प्राप्त करेगी उसे संचालन संबंधित, रोजगार सृजन, आॅडिटेड लेखा विवरण एवं प्राप्त प्रोत्साहनों का विवरण पर्यटन विभाग को या विभाग द्वारा नियुक्त किसी भी एजेन्सी को वार्षिक आधार पर रिपोर्ट के रूप में प्रेषित करना होगा।

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