एएमयू मुद्दे पर बढ़ता विवाद

 

एएमयू मुद्दे पर बढ़ता विवाद

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में लगी मोहम्मद अली जिन्ना की एक तस्वीर का कुछ दिनों पहले शुरू हुआ विरोध-प्रदर्शन, लाठीचार्ज के बाद अब धरनों और फायरिंग तक पहुंच गया है। भाजपा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् और हिंदू संगठन इसे हटाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन एएमयू की मंशा कुछ और है। एएमयू तस्वीर उतारने के लिए अब भी राजी नहीं है और विवाद थम नहीं रहा। हालांकि जिन्ना के नाम पर देश में विवाद पहले भी हो चुके हैं।

पाकिस्तान के कायदे आजम पर भारत में क्यों भड़का है विवाद?

– दरअसल जिन्ना पर विवाद एक पत्र के बाद गहराया। वह पत्र जो अलीगढ़ के ही विधायक सतीश गौतम ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तारीक मंसूर को लिखा था।

– पत्र में विधायक ने एएमयू के स्टूडेंट यूनियन हॉल में जिन्ना की तस्वीर लगे होने पर सवाल किया था। उन्होंने पूछा था कि, “यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर किस जगह किन कारणों से लगी हुई है? जिन्ना भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के मुख्य सूत्रधार थे। इस समय भी पाकिस्तान गैरजरूरी हरकतें कर रहा है। ऐसे में जिन्ना की तस्वीर यूनिवर्सिटी में लगाना कितना तार्किक है?”

– देखते ही देखते यह पत्र मीडिया की सुर्खियां बन गया। दो दिन बाद भाजपा की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के साथ हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता जिन्ना की तस्वीर के विरोध में यूनिवर्सिटी पहुंचे। यूनिवर्सिटी के बाबा सैयद गेट पर जिन्ना का पुतला जलाने की कोशिश की। एएमयू के छात्रों ने उन्हें रोकना चाहा तो मारपीट की। इसी के बाद यूनिवर्सिटी कैम्पस में तनाव बढ़ा, प्रदर्शन हुआ और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।

कब से लगी है तस्वीर?
– एएमयू के इतिहास के प्रोफेसर मो. सज्जाद कहते हैं जिन्ना की यह तस्वीर 80 साल से यहां लगी हुई है। यानी बंटवारे से भी तकरीबन नौ साल पहले से। उस समय जिन्ना को एएमयू की आजीवन सदस्यता दी गई थी। एएमयू के छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता पाने वाले पहले शख्स महात्मा गांधी थे। इस फेहरिस्त में डॉ. अम्बेडकर, नेहरू, सीवी रमन के भी नाम हैं।

तो तस्वीर हटाने की मांग क्यों?

– आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी और पंडित नेहरू के साथ कंधे-से कंधा मिलाकर चलने वाले जिन्ना का नाम इतिहास में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के सूत्रधार के रूप में भी दर्ज है। वह बंटवारा जिसमें 5 लाख से ज्यादा लोग मौत के घाट उतार दिए गए। हजारों महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ। 1 करोड़ से ज्यादा लोग शरणार्थी बन गए।

– असल में मोहम्मद अली जिन्ना की नुमाइंदगी में ही मुस्लिम लीग ने बंटवारे की नींव रखी थी। इसके पीछे थी भारत की बड़ी मुस्लिम आबादी के लिए अलग देश पाकिस्तान बनाने की मंशा। इतना ही नहीं जुलाई 1946 में जिन्ना ने ऐलान किया कि 16 अगस्त ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ रहेगा। ताकि ब्रिटिश सरकार को जता सकें कि भारत के 10 करोड़ मुस्लिम किसी भी कीमत पर पाकिस्तान चाहते हैं। उनके इस ऐलान से दंगे भड़के। कोलकाता में 72 घंटों के भीतर 6 हजार से अधिक लोग मारे गए। आखिर जिन्ना की इस जिद पर ही आजादी की रात देश का बंटवारा हुआ।

फिर एएमयू में अब तक क्यों लगी है जिन्ना की तस्वीर?

– विवाद गहराने के बाद एएमयू के प्रवक्ता शैफी किदवई ने सफाई पेश की है। उन्होंने कहा, “जिस पोर्ट्रेट की बात विधायक कर रहे हैं वह दशकों से संस्थान में टंगा हुआ है। यह दलील भी दी कि जिन्ना तो इस यूनिवर्सिटी के संस्थापक रहे हैं। उन्हें संस्थान के छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता भी दी गई थी। और संस्थान के सभी आजीवन सदस्यों की तस्वीरें स्टूडेंट यूनियन हॉल की दीवारों पर लगाए जाने की परंपरा रही है। इसलिए जिन्ना की भी है।”

अब तक क्या-क्या हुआ?

30 अप्रैल:अलीगढ़ से भाजपा विधायक सतीश गौतम ने एएमयू में जिन्ना की तस्वीर लगे होने पर जवाब मांगा।
2 मई: एबीवीपी तथा हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता जिन्ना की तस्वीर के विरोध में यूनिवर्सिटी पहुंचे।
– गेट पर जिन्ना का पुतला जलाने का प्रयास किया गया।
– एएमयू के छात्रों ने रोका, तो मारपीट तक हुई।
– हिन्दू युवा वाहिनी के 6 छात्रों को पुलिस ने पकड़ा भी, लेकिन बिना कार्रवाई छोड़ दिया।
– इसके विरोध में एएमयू छात्र थाने पहुंचे, विरोध किया। इसी बीच एसपी से धक्का-मुक्की हुई और पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसमें 15 छात्र घायल हो गए।
3 मई:लाठीचार्ज के विरोध में और हिन्दू युवा वाहिनी के छात्रों की गिरफ्तारी की मांग लेकर एएमयू के 4 हजार छात्र गेट पर धरना देने बैठे।
4 मई:धरना जारी रहा। धरने पर बैठे छात्रों ने पत्रकारों को पीटा। फायरिंग भी की। पुलिस ने फोर्स बढ़ाया, इंटरनेट सेवा बंद। शासन ने अब विवाद की न्यायिक जांच शुरू कर दी है।

इससे पहले जिन्ना के नाम पर विवाद की ये वजह भी रही हैं

1) मुंबई के कांग्रेस भवन में जिन्ना के सम्मान में लगी तख्ती पर हुआ था विरोध

मुंबई के लेमिंगटन रोड के करीब स्थित कांग्रेस भवन परिसर में कुछ साल पहले तक जिन्ना के सम्मान में एक तख्ती लगी हुई थी। यहां जिन्ना के नाम पर एक हॉल भी था। इसका निर्माण 1918 में उस बड़े प्रदर्शन की याद में हुआ था, जिसका नेतृत्व जिन्ना और उनकी पत्नी ने किया था। 1980 के दशक में यह हॉल राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा। जहां इंदिरा गांधी व मोरारजी देसाई बैठकें लिया करते थे। शिवसेना के विरोध के बाद इस पर विवाद बढ़ा और तख्ती हटा दी गई।

2) जिन्ना हाउस को गिराने की कोशिश हो चुकी है

शिवसेना और भाजपा मुंबई स्थित जिन्ना हाउस को गिराने की कोशिश भी कर चुके हैं। विभाजन के पहले तक जिन्ना इसी घर में रहा करते थे। जिन्ना की इकलौती बेटी दीना वाडिया ने इस पर हक मांगते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने अपने जीवन का आखिरी कुछ वक्त इसी घर में बिताया। नवंबर 2017 में वे चल बसीं। कानून के तहत अब यह सरकार की संपत्ति है।

3) जिन्ना की तारीफ कर विवादों में रहे कई कद्दावर नेता

जिन्ना की तारीफों से भी देशभर में बवाल मच चुका है। सबसे चर्चित मामला रहा लालकृष्ण आडवाणी का। 2005 में पाकिस्तान के दौरे पर उन्होंने जिन्ना की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि जिन्ना महान शख्स थे, एक धर्मनिरपेक्ष नेता थे। उनकी देशभर में आलोचना हुई। वे भाजपा अध्यक्ष का पद गंवा बैठे और संघ से भी उनके संबंध हमेशा के लिए बिगड़ गए।

– इसी तरह 2009 में जसवंत सिंह को जिन्ना की तारीफ के बाद पार्टी से निकाल दिया गया था। सिंह ने अपनी किताब में लिखा था कि जिन्ना विभाजन नहीं चाहते थे, उन्हें बाध्य किया गया था।

– वैसे तस्वीर वाले ताजा मामले में भी एक भाजपा नेता विवादों में फंसे हैं। यूपी सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने जिन्ना को महापुरुष बताया है।

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