“पानी वाला शहर हमारा”= अशोक गुप्त अचानक

 

“पानी वाला शहर हमारा”= अशोक गुप्त अचानक

 

पानी वाला शहर हमारा
सड़कें गड्ढों वाली ।
जगह जगह पर खुले हुए हैं 
मेनहोल अरु नाली ।
लागे जगह जगह पर जाम ।
जय श्री राम जय श्री राम ।
पैदल चलना हुआ हराम
जय श्री राम जय श्री राम ।
हर हर गंगे हुई बाढ़ पर
घर घर मोदी छाये ।
सड़क किनारे रहे सफाई
शौचालय बनवाये ।
सम्भव हुये जरूरी काम ।
जय श्री राम जय श्री राम ।
लागे जगह जगह पर जाम
जय श्री राम जय …..
घुमड़ घुमड़ कर बरस रहे हैं
बदरा कारे कारे ।
उफन उफन कर सभी चल रहे
नदियां ताल पनारे ।
सबने लिया रूप अभिराम ।
जय श्री राम जय श्री राम ।
लागे जगह जगह पर जाम
जय श्री राम जय श्री राम ।
सम्हल सम्हल कर पाँव धर रही
घर से निकली गोरी ।
होकर के मदमस्त बाग में
नाचें छोरा छोरी ।
मन जैसे व्रँदावन धाम ।
जय श्री राम जय श्री राम ।
लागे जगह जगह पर जाम
जय श्री राम जय श्री राम ।

,,,,,,अशोक गुप्त (अचानक )
कानपुर

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