जन्माष्टमी== ‎Reetu Gulati‎ 

 

जन्माष्टमी== ‎Reetu Gulati‎ 

बंसी बजाता सांवरा,
बांका बिहारी कान्हा,
जो गोपियो का लाड़ला,
जो दानवो का काल था।
मेरा प्यारा सांवरा,
कैसी निराली रीत थी,
तुझ संग ही प्रीत थी,
सब और श्याम सुन्दर हो।
हर छोर रसमय हाल हो,
वो चांदनी का वास हो,
मुरली बजाता श्याम हो,
परमात्मा से मेल हो,
या आत्म रस का खेल हो।
चारो दिशा उल्लास हो,
मनमोहना का वास हो,
बस एक तेरा ही साथ हो,
जीवन चरणो मे माथ हो।

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऋतु

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