पौड़ी गढ़वाल के कई गाँव में पेयजल समस्या

 

पौड़ी गढ़वाल के कई गाँव में पेयजल समस्या

पौड़ी गढ़वाल | देश में पेयजल की उपलब्धता में कमी जो कि राष्ट्रीय समस्या है, से उबरने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक समयबद्ध व्यापक की योजना बनाई जाए जिससे केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित पेयजल योजनाएं सही ढंग से क्रियान्वित हो सके ,साथ ही योजना की उचित मानिटरिंग हो ताकि पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके खासकर इस वर्ष जबकि पूरे देश में सूखे की स्थिति बनी हुई है और उत्तराखंड में खेती जो कि केवल वर्षा पर निर्भर होती है ।वहीं भयंकर सूखे के कारण सिंचाई के लिए जल तो दूर की बात है पीने योग्य पानी तक उपलब्ध नहीं है प्रथम पंचवर्षीय योजना से लेकर आज तक पानी के लिये 62 हजार करोड़ रुपया खर्च किया जा चुका है। प्रथम पंचवर्षीय योजना में तो नाममात्र का पैसा खर्च किया गया लेकिन जैसे जैसे योजना का आकार बढ़ता गया और विशेषज्ञों और जानकारों ने जन समस्याओं की तरफ गांवों की ओर ध्यान दिलाया तो पैसा ज्यादा खर्च किया जाने लगा।  लेकिन उतरार्द्ध में पीने के पानी की समस्या पर जोर दिया गया है। अभी भी हिन्दुस्तान में तीन तरह के पानी की समस्या है -पानी की उपलब्धता, सस्टेनेब्लिटी ऑफ वाटर और क्वालिटी ऑफ वाटर। तीनों तरह की समस्यायें अभी भी बनी हुई हैं देश में हिमालय, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी का इलाका बड़ा भाग्यशाली है क्योंकि वहां क्वालिटी ऑफ वाटर है। यदि उत्तराखंड मेंपानी की उपलब्धता की समस्या हो गई तो गुणवत्ता की समस्या आयेगी। वहां पानी की उपलब्धता की समस्या है। फिर सस्टेनेब्लिटी ऑफ वाटर की प्राब्लम है। इसलिये, इस पर भारत सरकार ने जोर दिया है। भारत निर्माण योजना के अंतर्गत यह राज्य का दायित्व है कि वह पेय जल की समस्या को देखेगी। भारत सरकार ने प्रयास किया है और सहायता दी है।गत चार वर्षों के अंदर  एक लाख 74हजार करोड़ रुपये खर्च करना है , उसमें पानी एक हिस्सा है। बाकी हिस्सा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का है, रूरल हाऊसिंग का है, बिजली लगानी है, सिंचाई करनी है लेकिन उसमेंपेय जल के लिये भी एक हिस्सा है।इस मामले में भारत सरकार का जोर है। अगर हम जनता को शुद्धपेय जल उपलब्ध नहीं कराते तो इसे क्रिमीनल नैग्लीजैंस से कम नहीं कहा जा सकता है। आज हम लोगों को जानकारी नहीं है । जहाँ सरकारे पलायन रोकने के लिए होमस्टे , सेल्फी विद विलेज जैसे कार्यक्रमों का संचालन कर रही है। वही पेयजल, सड़क आदि समस्या से लोग गांव से शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। तीरथ सिंह रावत के संसदीय क्षेत्र पौड़ी गढ़वाल के ग्राम सभा गैंड के मंजेली गांव, पट्टी बनेल्सयु में डांडा नागराजा ग्राम समूह पंपिंग योजना 2006 से लंबित है। 19 अक्टूबर 2006 में अपने हरिद्वार आगमन पर तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ० मनमोहन सिंह के द्वारा उत्तराखंड के लिए पांच पम्पिंग योजनाओं के निर्माण की घोषणा की गयी किन्तु केंद्र सरकार द्वारा अभी तक धन अवमुक्त न किये जाने के कारण इन योजनाओं पर कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया। इस संदर्भ में मंजेली गांव के ग्रामीण पवन कुमार बलोदी ने शासन – प्रशासन को पत्र लिखकर समस्या के समाधान के अवगत करवाया है। परंतु सिस्टम के सुस्त रवैये का परिणाम ग्रामीणों को झेलना पड़ रहा है। 29 दिसम्बर 2018 को बलोदी के द्वारा पेयजल मंत्री प्रकाश पंत को लिखे पत्र के समाधान के लिए पंत द्वारा जल निगम के प्रबंध निदेशक को उचित कार्यवाही के लिए निर्देश दिये गए थे परंतु शासन द्वारा कोई कार्यवाही नही की गयी। 07 जून 2019 को कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को पत्र प्रेषित किया गया। परंतु जल निगम द्वारा कोई कार्यवाही ना किए जाने से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। जिस कारण ग्रामीण पलायन कर रहे है।

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