चन्द शेअर – चन्द अशआर == विनोद निराश
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जाने वो हर सू , क्यूँ महसूस होते हैं ,
होते कहीं नहीं, पर महसूस होते हैं।
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इश्क़ हमसे तो ग़ज़ल किस पे लिखते हैं ,
बार-बार यही सवाल वो हमसे पूछते हैं।
हमें तो फ़िक्र -ए- जवाब ने मार डाला ,
जब वही सवाल वो बार-बार करते हैं ।
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वो मखमली सा चेहरा, जिसे देखता रहता था कभी ,
वक़्त ने करवट क्या बदली, अब सोचता रहता हूँ उसे।
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ये सर्द हवाएँ , और ये तन्हाई ,
बे-साख्ता तेरी, याद चली आई।
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रूठना गर वाजिब है , तो बेशक रुठ जाओ ,
मगर यूं तन्हा शहर , छोड़ कर न जाओ।
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ख्याल दिल में जब जाने का था , तो दिल हमसे लगाना न था ,
तलब इश्क़ की जगा कर तुम्हे, यूं ख्वाहिशों को उलझाना न था।
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इश्क़ से बेवफाई, क्या की मैंने ,
उनकी आँख का काँटा बन गया।
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करवट-दर-करवट कटी , कल की रात ,
डर है रह न जाए, अधूरी बात की बात।
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ता-उम्र तलाश करते रहे , रौशनी की हम यूं ही ,
अब पता चला रात को, दीये का सहरा ही बहुत।
,,,,,,,,,,,विनोद निराश = 9719282989