और इस तरह - रश्मि मृदुलिका

 
pic

इश्क़ खुदा हमसे यूँ खफ़ा न होते, 
लफ्जों में कभी मोहब्बत बता देते। 

आहिस्ता- आहिस्ता पराये न होते,
तुम जरा सी अहमियत जता देते। 

अहसास कीमती बेमुरव्वत न होते, 
काग़ज़ी जज्बात हम जला देते। 

इश्क़ में बईमान फितरते न होते, 
हमसफ़र हम क्यों कर जुदा होते। 

मुझे सुन लेते तुम, फासले न होते, 
कोई सुने तुम्हे हमराज़ ढूंढा होते। 

मासूम मोहब्बत बदनाम न होते, 
जरा सा वफादार सनम जानां होते। 
- रश्मि मृदुलिका, देहरादून , उत्तराखंड
 

Share this story