भाई दूज - अशोक यादव

 
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आना मेरे घर में तुम भैया, आपको निमंत्रण देती हूँ।
आकर प्रीति भोज खाना, पकवान बनाकर रखी हूँ।।

जल्दी आना, देर मत करना, मैं राह तुम्हारी देखूँगी।
मेरे भैया आ रहे हैं, अपनी सखी-सहेलियों से कहूँगी।।

शुभ आसन पर बिठाकर, रोली से तिलक लगाऊँगी।
बाँधकर हाथ में मौली, लंबी उम्र की कामना करूँगी।।

मंगलमय होगा, सुख आएगा, सारी इच्छाएँ पूरी होगी।
यमराज का भय नहीं रहेगा, जीवन में समृद्धि मिलेगी।।

यह भाई-बहन का त्यौहार, स्नेह का बंधन है अटूट।
आतिथ्य स्वीकार करो, भक्ति और आदर है अद्भुत।।

उपवास रहूँगी सुबह से, तोडूँगी आप आओगे तभी।
रक्षा करने दौड़े चले आना, दुःख में पुकारूँगी कभी।।
- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़
 

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