आशा - डॉ अनुराधा शर्मा
Aug 30, 2022, 23:11 IST

आशा की लौ से
हे बेकल मन
काली रात को रोशन कर ले |
सहला कर सब ज़ख्मों को
जीने की राह हासिल कर ले |
अब छोड़ दे
उन सब लम्हों को
जो अब तक धुंधले-धुंधले हैं |
छू ले आशा की वह मूक किरण
जो दबी निराशा के धुएँ में |
चाहत के सिकुड़े
पाँखों को फैला कर
तुम खो जाओ असीम गगन |
जुगनू सी रोशनी अपनाकर
जीवन से अंधेरा दूर करो |
हे मेरे बेकल मन
रोशनी का झीना मंज़र
तभी दिखाई देगा तुझको
गर, आशा की लौ से
ग़म की रात रोशन कर लें |
- डॉ • अनुराधा शर्मा
हिंदी अध्यापिका
माध्यमिक शिक्षा विद्यालय
नौशहरा नाल बंदा, पठानकोट, पंजाब
Kaushal.anu9@gmail.com