दोहा (मेंहदी) - अनिरुद्ध कुमार
Tue, 26 Jul 2022

मेंहदी हथेली रची, रंग खिले गुलनार।
इतरा गोरी झूमती, जीवन में नव धार।।
कंगन अपने तान में, गाये गीत मल्हार।
चूड़ी खनके ताल में, सावन का त्योहार।।
आकृष्ट मेंहदी करे, सजनी साजन प्यार।
माला फेरे रात दिन, गीतों में झंकार।।
मेंहदी मन लुभावनी, सुंदर यह श्रृंगार ।
साजन मनको मोहले, रंग बड़ी चटकार।।
लाल खिली है मेंहदी, यौवन झाँकें द्वार।
सजनी साजन के लिए, बनठन के तैयार।।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड