गीत - जसवीर सिंह हलधर

मोम माता का ज़िगर तो बाप भी चट्टान है ।
माँ हवा की लोरियां तो बाप ही तूफान है ।।
ढाल माँ संतान की तो बाप भी कृपाण है ।
बुद्धि मन यदि माँ हमारी बाप तन का प्राण है ।।
माँ सिखाती है तरीका प्यार का व्यवहार का ,
पाठशाला मात है तो बाप ही इम्तहान है ।।1
बाप का दिल नारियल सा जांचकर देखो कभी ।
रस भरा अंतस में जिसके जानते हैं हम सभी ।।
पापड़ी मिष्ठान जैसी सख़्त ऊपर की परत,
हार में भी जीत खोजे बाप वो इंसान है ।।2
जब कभी वहसी हवायें छेड़ती औलाद को ।
बाप में वो शक्ति है जो काट दे फौलाद को ।।
काल के भी सामने छाती अड़ाता है वही ,
बाप को उस वक्त मानो मौत का फरमान है ।।3
डाँटने से बाप के सजती सँवरती जिंदगी ।
बाप माँ दोनो सिखाते नेक नीयत बंदगी ।।
जब निराशा बालकों की रोकने लगती डगर ,
उस समय माँ चांदनी तो बाप भी दिनमान है ।।4
याद आये हैं पिताजी लिख दिया है गीत ये ।
आज "हलधर" है जहां माँ बाप की है जीत ये ।।
और ज्यादा क्या लिखूँ सब जानते हैं सत्य ये ,
जिंदगी औलाद की माँ बाप का वरदान है ।।5
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून