ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर
Sat, 14 May 2022

शाइरों की जिंदगी को धूप दान मानिए ।
साल अस्सी के हुए लेकिन जवान मानिए ।
बोलते कम हैं मगर वो देखते हैं दूर तक ,
खास हैं उस्ताद वो योगी महान मानिए ।
जब कभी आँखें निहारें छेड़िये मत बीच में ,
हुस्न पैमाइस उतारेगी थकान मानिए ।
हाथ माइक आ गया तो रोक टोक हो नहीं ,
बीच में रोका अगर तीखे बयान मानिए ।
शब्द भारी अर्थ भारी ज्ञान वान हैं बहुत ,
शे'र तीखे कान तक खींची कमान मानिए ।
सीख लो उस्ताद से दो चार बात काम की ,
खान से हीरा मिला खुद को सुजान मानिए ।
नारियल जैसे मगर रस खान के समान हैं ,
गीत ग़ज़लों की उन्हें ऊँची दुकान मानिए ।
पा गए आशीष "हलधर " नाम है समाज में ,
आप मेरी शायरी को धूम्र पान मानिए ।
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून