ग़ज़ल - अनिरुद्ध कुमार
Sat, 14 May 2022

प्यार लगता है जरूरी, बस जवानी चाहिए,
है यही दौलत जहाँ की, नेकनामी चाहिए।
प्यार से ही जिंदगी है, प्यार में सबकी खुशी,
प्यार करले जिंदगी में, बढ़ रवानी चाहिए।
आदमी तो है मुसाफिर, हर घड़ी दौड़े यहाँ,
लोग गायेंगे तराना, इक कहानी चाहिए।
उलझनें लाखों हजारों, राह में रुकना नहीं,
झूम के गाओ सफर में, रुत सुहानी चाहिए।
दूर जाना है सबों को, सोंचते बैठे सभी,
भूल ना जाये जमाना, कुछ निशानी चाहिए।
प्यार करले इस जमीं से, देख आयेगा मजा,
हौसलों में हो बुलंदी, दिल सुनामी चाहिए
'अनि' हमेशा राह देखे, मौत से डरता नहीं
जानता सबका खुदा है, जिंदगानी चाहिए
- अनिरुद्ध कुमार सिंह धनबाद, झारखंड