ग़ज़ल हिंदी - जसवीर सिंह हलधर
Thu, 5 Jan 2023

यदि नाव में सूराख है पतवार का क्या दोष है ।
कमजोर जिसकी जाख है तलवार का क्या दोष है ।
वो आग से खेलें नहीं अब भी समय है मान लें ,
शोले नहीं वो राख है अंगार का क्या दोष है ।
मौसम बहुत ठंडा हुआ इस बात पर भी ध्यान दें ,
क्यों मानते बैसाख है पतझार का क्या दोष है ।
जलती चिताएं कह गईं मातम न कर बस युद्ध कर ,
घुसपैठ में गुस्ताख़ है सरकार का क्या दोष है ।
इस देश के कानून को कुछ लोग धोखा दे रहे ,
मक्कार संख्या लाख है दो-चार का क्या दोष है ।
उसने हमें कोसा बहुत शृंगार के आलाप पर,
सुख चैन वाला पाख है रसधार का क्या दोष है ।
जो कौम"हलधर" आन पर लड़ती नहीं अड़ती नहीं ,
बचती न उसकी साख है हथियार का क्या दोष है ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून