ग़ज़ल - ऋतु गुलाटी
Nov 20, 2022, 22:30 IST

हमे भरोसा है आशिकी का।
निभाइये हक भी बेखुदी का।
मुझे मिली है खुशी भी जब से।
निभा लो अब साथ दोस्ती का।
दुआ किये हम, मिलो हमें अब।
जवां सा आलम है दिलकशी का।
कहाँ ? गये हो सुनो हमारी।
कि क्या भरोसा है जिंदगी का।
चुरा ली तुमने हमारी खुशियाँ।
सफर न कटता है जिंदगी का।
कहाँ गये हो हमे भुला कर।
अरे जमाना है बेखुदी का।
जरा सा लम्हा घिरा है देखो।
नही है अब वक्त आशिकी का।
- ऋतु गुलाटी , मोहाली , चंडीगढ़