ग़ज़ल - ऋतु गुलाटी
Thu, 19 Jan 2023

प्यार करते, जताते नही क्या करे।
मर मिटे नीदं आती नही, क्या करे।
रूठ कर तुम मनाते हमें आज तो।
देखकर आपको अब हँसी क्या करे।
रोशनी भी हमे रास आती नही।
खो गयी आज तो चाँदनी, क्या करे।
मर रही जिंदगी की कड़ी धूप में।
हो गयी प्यार में बाबरी,क्या करे।
माफ करना खता आज सारी मेरी।
भूल मुझसे हुई दोस्ती क्या करे।
खूबसूरत दिखे अब जहां में तुम्ही।
ये जमाना सताता हमें आज तो।
हमको आती नही मौंत भी क्या करे।
रह गयी मुझमें अब तो कमी,क्या करे।
- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली, चंडीगढ़