माँ चरणों की रज पावन - कालिका प्रसाद

माँ बहुत पवित्र एक नाम है,
माँ के चरणों में ही चारों धाम है,
माँ ममता की प्रति मूर्ति है,
माँ जीवन में मधुमास लाती।
माँ ने जन्म दिया है हमको,
मां की कोख में जीवन पाया,
माँ ने जब भी हमको रोता पाया,
माँ ने ही हमको चुप कराया।
खेल-खेल में हमें पढ़ाया,
भले बुरे का बोध कराया,
माँ ने हमें जीवन दान दिया है,
माँ ने सबसे पहले ज्ञान दिया।
माँ मोहक सुरों का सरगम है,
माँ इन्द्र धनुष के खिलते रंग है,
माँ गंगा जमुना जैसी शीतल है,
माँ मंदिर की मधुर ध्वनि है।
माँ जीवन का सुख सागर है,
जीवन बगिया सिंचित करती,
माँ संस्कारों का रोपण करती,
माँ के चरणों की रज पावन ।
माँ परिवार की धुरी होती है,
माँ बच्चे का संसार होती है,
माँ हमारे हृदय में बसती है,
माँ को शत् शत् वंदन करते हैं।
- कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड