कदम - सुनीता मिश्रा
Jan 25, 2023, 23:26 IST
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उठ गये थे कदम
तुम्हारी ओर
यूँ ही चलते चलते....
हो रही थी हर पल
यह इच्छा कि
काश तुम भी
मेरे साथ होते....
कदम तो उठ
रहे थे तुम्हारी
तरफ...
पर यह कहना
मुश्किल था
कि कदम उठ रह थे
या घसीट रही थी
मैं...
पर इच्छा है
तुमको पाने की...
नहीं है मतलब
कोई
कदम उठा रही हूँ
या घसीट रही हूँ
पहुँचने के लिए
तुम तक....
पाकर तुमको
पाने को तुम्हारा
अपार प्यार...
✍️ सुनीता मिश्रा, जमशेदपुर