कविता - मधु शुक्ला
Wed, 4 Jan 2023

नया साल लाया मनोहर सबेरा,
नवल रश्मियों ने उजाला बिखेरा।
जगी आस मन में प्रगति हम करेंगे,
वतन हेतु मिल कर हमेशा रहेंगे।
न झगड़ें, सभी धर्म सम्मान पायें,
हमारा वतन ईश ऐसा बनायें।
बहू, बेटियाँ और बहनें हमारीं,
नहीं अब कहायें यहाँ पर बिचारीं।
गरीबी मिटेगी वतन से हमारे,
दिखेंगे न अब भेद वाले नजारे।
हँसे हर सदन, द्वार स्वर्णिम सबेरा,
तभी चैन सुख का रहेगा बसेरा।।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश