प्रवीण प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी
Sun, 17 Apr 2022

रूष्ट नहीं होते कभी, जग में अच्छे मित्र।
इस जीवन के पटल पर, वही सुधारें चित्र।।
मन सुख से सम्पन्न हो, यही कामना आज।
सुखी व्यक्ति के ही सदा, बनते सारे काज।।
साज बजाएं इस तरह, दिल को आये चैन।
अंतस सबके खिल उठें, अर्ध सुप्त हों नैन।।
घोल रहे हैं मधुर रस, पिय के सुंदर बोल।
उर आनंदित हो उठे, मन के पट दें खोल।।
खोल पिया के सामने, मन के सारे द्वार।
गोरी ने दर्शा दिये, छिपे हुए उद्गार।।
उद्गारों को रिक्त कर, ली तब गहरी सांस।
नहीं बची कोई व्यथा, निकली मन की फांस।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव, उत्तर प्रदेश