प्रवीण प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी
Sat, 6 Aug 2022

साम्ब शिव बड़े भले, लिपटे हैं नाग गले
कंठ में गरल भरा, अभिषेक कीजिये।
भाल पर चंदा रहे, जटाओं से गंगा बहे
मातु पार्वती के हाथ, सुधा रस पीजिये।
नंदी जी की है सवारी, प्रभु बाघम्बर धारी
अंग भस्म सजती है, आशीर्वाद दीजिये।
नीलकंठ अविनाशी, कहलाते हैं कैलाशी
शंभु परिवार का ही, नित्य नाम लीजिये।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश