बतायें क्या जमाने को - अनिरुद्ध कुमार
Mon, 25 Apr 2022

हँसी सूरत, जुबां लाली, सुहाती है, सयाने को।
कली जैसी, खिले दिल में, लुभाती है दिवाने को।।
निगाहों में, दिखे तेजी, गजब मस्ती, बहारों सी।
अदायें भी, रुहानी सी, मचलती है रिझाने को।।
नैन मटके, कजर पैनी, पलक शोभे, लुभानी सी।
बजे रुनझुन, बदन झूमें, बुलाती है जिलाने को।।
चले बलखा, बजे पायल, हिले चोटी, गजब मस्ती।
खुशी या गम, बने भोली,जवाँ दिल को सताने को।।
चुनर लहरे, हवाओं में, बसंती सी, फिजाओं में।
चुराले दिल, लगे मंजिल, बतायें क्या, जमाने को।।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड