एक हसीन मुलाकात - राजेश कुमार झा
एक हसीन मुलाकात वो रिमझिम रिमझिम सी बरसात।
बस यही पूंजी है हमारे जीवन की मेरे पास मेरे पास।।
उन लम्हों को कैसे भुल जाऊँ जहाँ तुम थी मेरे पास मेरे पास ।
वो मद्धम-मद्धम हल्की-हल्की सी बारिश फुहार।।
कर रही थी बेबस बड़ा रही थी हम दोनों का खुमार।
वो शीतल शीतल सर्दी करा रही थी शीतलता का अहसास।।
उस पल में आपका सौंदर्य और सादगी बना रही थी तुम्हे खास।
एक हसीन मुलाकात वो रिमझिम रिमझिम सी बरसात।।
वो तीखी वो तीखी सुर्ख हवाएं उस पर काली काली घटाएं।
बरसा रही थी अपनी आदए महका रही थी फजाए।।
वो पल वो क्षण जब जब याद आते है दिल पर।
यादों को गड़गड़ाहट सी बिजलियां गिराते है।।
वो साल दर साल गुजरते बारिशों के मौसम के हम।
कैसे भुल जाए जितना भूलो उतना ही याद आतें है।।
बस आपकी यादें रूपी यादें है मेरे पास मेरे पास।।
एक हसीन मुलाकात वो रिमझिम रिमझिम सी बरसात ।।
- राजेश कुमार झा, बीना, मध्य प्रदेश