भाषा संस्थान लखनऊ के तत्वाधान में एक विचार गोष्ठी का आयोजन

 
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utkarshexpress.com लखनऊ - उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान लखनऊ के तत्वाधान में एक विचार गोष्ठी का आयोजन इस्लामिया लॉ डिग्री कॉलेज में किया गया।
गोष्ठी का विषय "महादेवी वर्मा के साहित्य में स्त्री विमर्श" था। जिसमें दूर दराज से आईं प्रख्यात महिला विदुषियों और साहित्यकारों ने भाग लिया।
चर्चा करते हुए ग्लोकल विश्वविद्यालय सहारनपुर की व्याख्याता डॉ शोभा त्रिपाठी ने कहा कि महादेवी वर्मा की दृष्टि में स्त्री चेतना का जो रूप है, वह पश्चिम से आयातित स्त्री-विमर्श से सर्वथा भिन्न है। वह विद्रोहिणी नहीं, सहचारिणी है, समाज से विमुख नहीं , समाज की धारा का अंग है। वह मनुष्य के रूप में अपनी उपस्थित की आग्रही है, उसकी आकांक्षा बस इतनी सी है कि उसे बन्दिनी नहीं अपने प्रियतम की सहचरी का स्थान मिले, सामाजिक रूप से एक ईकाई के रूप में देखा जाए न कि किसी पुरुष की छाया बन कर अपना संपूर्ण जीवन गुजारने के लिए अभिशप्त हो।

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डॉ अनीता मौर्य ने महादेवी वर्मा की कृतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महादेवी  की रचना "मैं नीर  भरी दुख की बदली, उमड़ी कल थी मिट आज चली....."
नारी संवेदना और नारी की समाजिक असमानता की भावना दृष्टिगोचर होती है।
चर्चा करते हुए डॉ निभा चौधरी ने महादेवी वर्मा से महीयसी बनने के सफर को श्रोताओं के सम्मुख रखा।
श्रीमति रचना सिंह वानिया ने महादेवी के जीवन वृत्त प्रस्तुत करते हुए महादेवी के कृतियों का उल्लेख किया।
मोहित संगम ने महादेवी के साहित्य की नारी और आधुनिक संदर्भ पर अपने विचार रखे।
विचार गोष्ठी की अध्यक्षता। सविता सिंह ने तथा कार्यकम संयोजक संचालन डा सौरभ कांत शर्मा ने किया। समन्वयक अभय सिंह कुणाल ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के इस आयोजन की इस पहल को सराहा।
 

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