आज की रात मेरे दिल की सलामी ले ले - चौ.मदनमोहन समर

 
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vivratidarpan.com - यह तो दुनिया का दस्तूर है। पुराना जाता रहा है, नया आता है। जब नया आता है तो वह नवेला होता है। पुराने के पास अनुभव होता है, नये के पास आशायें। पुराने के पास अगर दर्द है, तो नये के पास दवा की सम्भावना। लेकिन आजकल नये के जलवे होते हैं। पुराने के पठ्ठे,फटाफट नये के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर डालने में एक पल भी जाया नहीं करते। अब आप ही देखिये, कैसे नया-नया का शोर आतिशबाजी और डीजे पर थिरकता हुआ टुन्न होगा। ये तो बस इसी इंतजार में हैं कि कब घड़ी टन्न करे और ये अपना पल्ला पुराने से झाड़कर नये का प्रशस्तिगान प्रारम्भ करें।

हर स्थापित को यह पता ही नहीं होता कि, वह कब पुराना होकर आउट डेटेड हो जाये। लेकिन सूरज को पता है, वह न नया है न पुराना। लेकिन धरती के प्राणी उसे अपने-अपने अनुसार नया पुराना करते हैं, और सूरज भी इन धरावासियों के आनंद हेतु उनके नवोत्सव में शामिल होता रहता है। पुराने-नये का खेल खेलता हुआ।

मनुष्यों के कल्चर में सब लोग मेहनत करते करते दोहरे हुए जाते हैं बेचारे, इनके नसीब में केवल एक ही दिन तो होता है खुशी मनाने का। यह एक दिन हैप्पी न्यू इयर से शुरू होता है। फिर वेलेन्टाइन डे, होली, एनुअल फंग्शन, चार-छह बारातों, दीवाली, बाकी और अपने-अपने एक दिन से होता हुआ थर्टी फर्स्ट के नौ से बारह तक अनवरत रहता है केवल एक दिन।

परम्परा अनुसार थर्टी फर्स्ट को सूरज पश्चिम में जायेगा तो उसे पता नहीं होगा कि वह पुराना हो गया है। अब उसके तीन सौ पैसठ सही एक बटा चार दिन पूरे होकर चुक गये हैं। कैसा जमा बैठा था यह सूरज उजाले पर अपना अधिकार जताता। उसने जो भी चमक-वमक बिखेरी हुई है वो सब क्लोज हो जायेगी। वैसे भी अब पुराने को रिप्लेस करने की मुहिम चल रही है। फिर जेनुअरी फर्स्ट का जो सूरज उदय होगा वो नया होकर उगेगा। बिलकुल भौचक्क।रात को जीरो जीरो पाइंट जीरो जीरो बजे जब वो परिदृश्य में होगा ही नहीं तब अचानक उसे नहलाया धुलाया जायेगा। साबुन शैम्पू की जगह स्काच शैम्पेन से। और उसकी अनुपस्थिति में ही घोषित कर दिया जायेगा कि अब से साल और सूरज सब नये। रोशनी नई,रश्मियां नई,हिप्प-हिप्प हुर्रे।

यह भी वक्त-वक्त की बात है। दिन और नजर बदलते देर नहीं लगती। पिछली बार जिन पठ्ठों ने इस जा रहे सूरज के आगमन पर हुड़दंग मचाया था वे सब अब उसे छोड़ कर नये के लिये डांस करेंगे, फोटो सेशन करेंगे। हो-हो, ही-ही के साथ हैप्पी-हैप्पी बोलेंगे। अपनी बाइक पर रेसिंग करेंगे। कुछ तो ठर्रे के सुरूर में इतना एक्सीलेटर बढ़ाएंगे कि उनके लिये कहना पड़ेगा गॉड सेव हिम / हर। न्यू इयर वेलकम में ये हिम और हर के फर्राटे देखना हो तो थोड़ा आइये तो बाहर।

जेब में स्मार्ट फोन और उस स्मार्ट फोन में डिजीटल बटुआ। उस बटुये में फोन पे और गूगल पे। फिर इन ई-बटुये में अगर अच्छा खासा बेलेंस हो तो अपना शहर भला नये के स्वागत का मज़ा देता है? इसके लिये गोवा जाना जरूरी होता है। गोवा में गोवियां होती हैं जो पूरे देश से आई होती हैं। बिल्कुल गोभी के फूल की तरह। उनके साथ हमारे आलू मिलकर नये साल का जश्न मनाते हैं। गोवा की रेलें, बसें हवाई जहाज सब फुल होते हैं, लेकिन टुल होने का मजा तो तब ही है जब इन फुल को पहले से ही झुल कर लिया जाये। इसलिये महीना भर पहले से मेक माय ट्रिप, गो बीबो, आदि ने चाँदी काट ली होती है। कुछ लोग बैंकॉक, पटाया, और कुछ रंगबिरंगी धरती तक भी जाते हैं नई रंगीनियां तलाशने।

स्वागतम्, वेलकम, इस्तकबाल, करना नई ऊर्जा भी देता है। आने वाले को भी और द्वार पर मंगल कलश लिये खड़े मेजबान को भी। इसी तरह नये साल का द्वाराचार होता है। केक कटते हैं डीजे बजता है। इन केकों में उल्लास होता है। गालों पर केक मलकर नायक-नायिका इतिहास रचते हैं। इसी उल्लास के साथ डीजे के साथ कर्णप्रिय मधुर धुन पर होता है खुल्लास। सब खुल जाते हैं। बिना झिझक के अटक-मटक कर खटक छोड़ सटक जाते हैं फिर कुछ तो बाद में लटक भी जाते हैं।

 यह जश्न का अवसर है। नये जश्न का। तो जश्न मनाते-मनाते कुछ तो इतने आनंदित हो जाते हैं कि वे आनंद से धनानंद का साथ ले परमानंद में खो जाते हैं। उन्हे घरानंद में वापस लाने के लिये उठा कर लाया जाता है। दो-चार दिन बाद उन्हें पता चलता है कि वे परम स्थिति में चले गये थे।

इंस्ट्रा की रील, फेसबुक पर फील, एक्स पर लाइक्स और व्हाट्सएप पर अपडेट नये साल के जश्न के कारण रिग्रेट की स्थिति में आ जाते हैं। आपने अपने मोहल्ले के अलाने और फलानी के बारे में अगर कुछ नहीं सुना तो इस नये साल जरा ध्यान से सोशल मीडिया पर सैर कर आना आपको इनके चंदनवन महकते हुए चारो तरफ हरियाये मिलेंगे।

अभी जो टीन एज़र हैं उनके मम्मी-पापा अभी कुछ दिन पहले ही यंग-यंग हैप्पी न्यू इयर पर झूम-बराबर- झूम हुये थे। अब अपने बच्चों को वे चाह कर भी अझूम नहीं कर सकते इसलिये बच्चे भी झूमते हैं और मम्मी पापा भी।

जिनकी हैसियत बैंकॉक, पटाया या गोवा जाने की नहीं है वे अपने आस-पास के ढाबों को ही गोवा के रिसोर्ट और तालाबों को वहां का कलिंगगुट बीच मान लेते हैं। इन ढाबों पर भी नये साल के स्वागत की विशेष तैयारिया की गई होती हैं महुआ फ्रूटी से लेकर अंगूरी शरबत तक उपलब्ध रहता है। अगर यह भी सम्भव नहीं होता तो अपने ट्यूबवेल के पास फट्टा बिछाकर चार यार नया साल मनाने से नहीं चूकते।

हाय रे थर्टी फर्स्ट! उस दिन एक मुर्गा अपनी मुर्गी के गले लग कर विदा मांग रहा था। मुर्गी बेचारी सिसकियां भर रही थी। एक क्या मुर्गा-मुर्गी के हर मोहल्ले में यही शोर था कि- “आज की रात मेरे दिल की सलामी ले ले, कल तेरी बज्म से दीवाना चला जायेगा। शम्मा रह जायेगी परवाना चला जायेगा” उधर बकरे अपनी बकरियों को सामने बैठा कर आरजू बानो के गीत गा रहे थे-आज की रात जरा प्यार से बातें कर ले, कल तेरे शहर से मुझे जाना होगा। जंगल के हिरण-खरगोश तालाबों के किनारे आये मेहमान पक्षी, पोखरों की जलमुर्गियां सभी गरदन ऊँची कर-कर के थर्टी फर्स्ट की तरफ देख रहे हैं कि पता नहीं वे नये सूरज का स्वागत कर पायेंगे या किसी भगोने में उबलते हुये अपनी हड्डियां गला रहे होंगे। उन गली हड्डियों और शोरबे को चूसने वाले अफसर और धवल धारी लोग होंगे जिनके कंधे पर इनके संरक्षण का भार पड़ा हुआ है। एक यही मौका होता है जब वे इस भार को थोड़ा हल्का कर लेते हैं।

लेकिन यह नया साल नई सुबह लेकर आता है। नया पसीना लेकर आता है। नया बसंत लेकर आता है। नया जीवन लेकर आता है। नये रिश्ते लेकर आता है। नई चुनौतिया और उनके समाधान लेकर आता है। इसका स्वागत करने का सबका अपना तरीका है। सबकी अपनी परम्परायें हैं। सबके अपने विचार हैं। और यह सब मिलकर ही सकल होते हैं। दिन बदल जाता है। कैलेन्डर बदल जाता है। लेकिन हम वहीं होते हैं हर नई सांस के साथ आती हुई किरणों में रोशनी तलाशते हुए। आपको हमको और सभी को वह रोशनी मिले जिसकी सब तलाश कर रहे हैं तथा आने वाले वर्ष सुखद और समृद्ध हो आपके लिये। यही शुभ कामना है।(विभूति फीचर्स)

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