अहसास - ज्योति अरुण
Mar 26, 2023, 23:21 IST

ढूंढती झरोखें से दूर बस नजर आयें,
देखते मची हलचल दिल करे बगावत है,
ज़ख्म ये गरीबों का देखता भला कौन जो,
पास आ लगा दो मरहम फर्ज़ यें इबादत है।
दर्द अपना मैं भुला दी जब हसायां आपने,
तब सकूं हमको मिला जब मुस्कुराया आपने,
ये समां मौसम हसीं है दिल पुकारे आपको,
जिंदगी में रंग भर इस को सजाया आपने।
याद करके हँसी को तुम्हारी सनम,
हो के बेचैन ख़ुद को मनाना पड़ा,
अब्र में चाँद भी छिप गया जिस तरह,
खुद को शब भर मुझे भी मनाना पड़ा।
कभी चांद मुझको गगन से सताता,
सितारों का दिल पर सितम देखते हैं,
शमां है सुहाना ये मौसम दीवाना,
दिलों में है हलचल तुम्हें ढूंढते हैं।
- ज्योति अरुण श्रीवास्तव, नोएडा, उत्तर प्रदेश