आ रही हसीं - अनिरुद्ध कुमार
Nov 9, 2023, 23:16 IST

ढ़ूढते खुशी, आ गये यहाँ,
छोड़के जमीं, खो गये कहाँ।
मन कचोटता, अंधकार है,
मतलबी सभी, देखले जहाँ।
बोलतें नहीं, आँख में नमीं,
कौन पूछता, प्यार में कमीं।
बीतता समय, बेसकीमती,
राह भूल के, नापते जमीं।
होठ खोलना, आज है मना,
जी रहें सभी, आज अनमना।
क्या करे गिला, जान पे बनीं,
कौन सोंचता, जिंदगी फना।
डींग हांकते, गरम है हवा,
रोज बोलते, जाग जा युवा।
राह खो गई, हौसला कहाँ,
कौन बांटता, प्यार की दवा।
आज आदमी, दर्द से दुखी,
देख जिंदगी, लोभ में फंसी।
त्याग है कहाँ, बोल बेतुका,
चाल देखते, आ रही हसीं।
मांगते दुआ, सोंच हो नया,
राह पे चले, चैन से सदा।
आदमी सभी, पाक साफ हो,
जिंदगी कहे, आ रहा मजा।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड