धारा 370 सियासत से सिनेमा तक - राकेश अचल

 
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utkarshexpress.com - धारा 370  यानि ' आर्टिकल 370 ' अब एक मृत शब्द है ।  जम्मू -कश्मीर के जन्म से जुड़ी ये धारा यानि आर्टिकल अब सियासत और सिनेमा दोनों पर एक साथ उभर रहा है ।  रजतपट पर ' आर्टिकल 370 ' को  देश में कामयाबी  मिलती  दिखाई दे रही है लेकिन खाड़ी के देशों ने ' आर्टिकल 370 ' के प्रदर्शन  पर पाबंदी लगा दी है। 
 भाजपा की सरकार ने जम्मू-कश्मीर से संविधान  की धारा 370  को हटाने के लिए दशकों तक  तैयारी  की थी  तब कहीं जाकर पांच साल पहले भाजपा का ये सपना पूरा हो पाया।  भाजपा ने आगामी लोकसभा के लिए 370  सीटें जीतने का लक्ष्य तय कर  धारा 370 को फिर चर्चा में ला दिया। भाजपा से लगाव रखने वाले रजतपट ने भी लगे हाथ बहती गंगा में हाथ धोने के लिए ' आर्टिकल 370 ' नाम से एक फिल्म  बना डाली।
भाजपा तो इस 370  के आंकड़े को लगता है अपने लिए शुभ मानती है और इसीलिए लोकसभा में अपने गठबंधन के लिए 400  किन्तु अपने लिए 370  सीटें हासिल करना चाहती है।
भाजपा की देखादेखी सिनेमा बनाने वाले भी कहाँ मानने वाले थे । वे भी इस आंकड़े को विवेक अग्निहोत्री की तरह ' दि कश्मीर फ़ाइल ' की तर्ज पर 'आर्टिकल 370  ' बनाकर भुना लेना चाहते थे ,सो उन्होंने भी आनन-फानन में फिल्म बनाकर रिलीज  भी कर दी। समय भी सही चुना । लोकसभा चुनाव के ठीक पहले ये फिल्म रिलीज हुई है ताकि देश को एक बार भाजपा द्वारा धारा 370 के साथ भाजपा सरकार द्वारा किये गए पुरुषार्थ की याद दिलाई जा सके। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। 
 यामी गौतम की फिल्म आर्टिकल 370  सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है ।  फिल्म रिलीज के तीसरे दिन निर्माता और फिल्म के प्रशंसकों  के लिए परेशान करने वाली खबर सामने आई। इस फिल्म को खाड़ी देशों में रिलीज करने से इनकार कर दिया गया है ।यामी गौतम की फिल्म 'आर्टिकल 370' से पहले ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण की एक्शन-थ्रिलर फिल्म 'फाइटर' को भी खाड़ी देशों में बैन कर दिया था।मैंने तो ये फिल्म देखी नहीं  है किंतु  इसके  बारे  में पढ़ा  जरूर  है ।ये फिल्म कश्मीर घाटी के हालात को बयां करती नजर आ रही है। इतना ही नहीं 'आर्टिकल 370' को हटाने में किस तरह के प्रयास और जटिलताएं सामने आईं इसकी एक झलक भी देखने को मिल रही है। ऐसे में खाड़ी देशों में फिल्म 'आर्टिकल 370' को बैन करना  कहीं न कहीं हिंदी सिनेमा के लिए बड़ा झटका है।
फिल्मों को बैन करने से कोई बात नहीं बनती । मैं हमेशा से फिल्मों को ही नहीं बल्कि अभिव्यक्ति के किसी भी माध्यम को प्रतिबंधित करने के खिलाफ रहा हूं। इसलिए खाड़ी देशों के इस प्रयास की निंदा करता हूँ ,लेकिन मेरी ये बात समझ में नहीं आ रही है कि खाड़ी के देश ऐसा क्यों कर रहे हैं।आपको याद दिला दूं कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र  मोदी ने हाल ही में खाड़ी देशों की अपनी यात्रा पूरी की। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जी की ये 13  वीं यात्रा थी। उनके  हालिया दौरों ने इस क्षेत्र के साथ संबंधों को और मजबूत किया है।
 खाड़ी देशों में लगभग 9 मिलियन यानी 90 लाख भारतीय प्रवासी रहते हैं। इनमें सबसे ज्यादा 34.3 लाख भारतीय यूएई में, उसके बाद 25.9 लाख सऊदी अरब में, 10.3 लाख कुवैत, 7.8 लाख ओमान, 7.5 लाख कतर और 3.3 लाख भारतीय बहरीन में रहते हैं। खाड़ी देशों में भारतीय प्रवासियों की विशाल तादाद है। विदेश में रहने वाले भारतीय हर साल भारत में जितना पैसा रेमिटेंस के तौर पर भेजते हैं, उनका तकरीबन आधा तो सिर्फ जीसीसी के देशों से आता है।  
बहरहाल अब देखना ये है कि लोकसभा चुनाव में 370  का ये आंकड़ा कितना करिश्मा दिखाता है। फिलहाल यामी गौतम को तो आर्टिकल 370  करोड़पति बना ही देगा। (विनायक फीचर्स)

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