बादल कितनी राह तुम्हारी लंबी - हरी राम यादव

 
pic

आओ बादल गांव हमारे,
    तुमको धरती गगन पुकारें।
आसमान में सुबह शाम,
    सबकी नजरें तुम्हें निहारें।

जब तुम नीले आसमान में,
     गांव की धरती से जाते दीख।
आशा में आंखें उठती चमक ,
     जल जाता खुशियों का दीप।

बाग, तड़ाग सब सूख रहे हैं,
    सूख रहे हैं खेत, वन उपवन।
नीचे का पानी अब नीचे जाए ,
     तुम बिन न लगे कोई यतन ।

बादल कितनी राह तुम्हारी लंबी,
    बोलो तुम अब तक क्यों न आये।
निशि दिन देखत राह तुम्हारी,
    मन का धीरज अब चुकता जाए।।

सूरज सुबह से रोज शाम तक,
   गगन से आग का गोला बरसाए।
आओ तुम झमक कर बरसो ,
    पूरी धरती पानी पानी हो जाए ।।
- हरी राम यादव,अयोध्या, उत्तर प्रदेश
 

Share this story