बसंत बहार - सुनील गुप्ता
Updated: Feb 19, 2024, 17:58 IST

आयी बसंत बहार, सज आई वसुंधरा
चहुँओर बरस रहा , अब आनंद बहार !
चलें झूमें गाए तन मन ये जीवन धरा.....,
और बहे चले ठंडी, मधुर मकरंदित बयार !!1!!
खेत खलियान चहक रही पीली सरसों
वन पंछी विहंग कोयल कूक हर्षा रहीं !
अब आम मंजरी जाए महके बागों में....,
बसंत स्वागत में खिली कलियाँ मुस्कुरा रहीं !!2!!
अल भोर की बेला, लगे मन को है भाने
दिवस धूप चले हौले-हौले अब गुनगुनाए !
दसों दिशाओं से उठ रही हैं मधुर स्वर तानें..,
चली धानी चुनरिया पहने धरा खिले सरसाए !!3!!
है मदनोत्सव प्राकट्य दिवस श्रीवाग्देवी का
चलें बच्चों को अमृतज्ञान संस्कार देते नित्य !
करें विधि विद्यान संग पूजा माँ सरस्वती की.....,
आई है बसंत जीवन को बनाने दिव्य भव्य !!4!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान