निर्द्वंद्व बनें - सुनील गुप्ता
( 1 ) निर्द्वंद्व बनें
रखें ना वैर किसी से
और करते चलें स्वच्छंदतापूर्वक कार्य !
कभी होएं ना विचलित अपने ध्येय से.....,
और चलें करते जीवन को सदैव स्वीकार्य !!
( 2 ) द्वंद्व मुक्त
जीवन है शांति का पर्याय
और चले बहता यहाँ पे अज़स्त्र सुख सागर !
कभी ना रखें जीवन में किसी से मनमुटाव..,
और सदा चलें हर्षाए सरसाए आनंद बहार !!
( 3 ) राग-द्वेष
सुख-दुःख से रहित
सदा चलें अपनाए वीतरागिता का संदेश !
कभी ना पहुँचाएं मन कर्म वाणी से दुःख..,
और चलें फैलाए प्रेम प्यार करुणा का संदेश !!
( 4 ) प्रतिद्वंद्विता से
बचें और बनें सबके सहयोगी
और चलें बरसाए जीवन में प्रेम माधुर्य के रंग !
कभी ना किसी के बन विरोधी, कहें कटु वचन.,
और हमेशा आह्लादित रहते बहाएं उमंग तरंग !!
( 5 ) निर्द्वंद्व व्यक्ति
चले सोए चैन की नींद
और जीवन में कभी किसी को परेशां ना करे !
आओ बनाए अपना जीवन सभी द्वंद्वों से मुक्त,
और जीवन में उन्नयन प्रगति पथ पे बढ़ते रहें!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान